
नीतू पाण्डेय, नई दिल्ली: आज तक लोगों ने केवल अमर होने की कहानियां ही सुनी होगी, लेकिन ये कहानियां सच भी हो सकती है ऐसा किसी ने सोचा नहीं होगा. वैज्ञानिक ये कहानी सच करने की सोच रहे हैं. वैज्ञानिकों का ये दावा है कि साल 2030 तक इंसान कभी न खत्म होने वाले जीवन को हासिल कर लेगा या अमर हो जाएगा.
किताब की ये कहानी कितना सच?
अक्सर ये कहानियां हम सभी को दादा-दादी, नाना-नानी से बचपन में सुनने को मिलती थी. कई धार्मिक किताबों में लोगों की अमरता की कहानियां हमने पढ़ी है. लेकिन गूगल के पूर्व इंजीनियर ने अपनी एक किताब में अमरता की कहानी का जिक्र छेड़ दिया है. अब उनकी इस किताब में अमरता की चर्चा जोरों-शोरों से हो रही है.
7 साल में इंसानों के अमर होने का दावा
आपको बता दें कि अमरता की भविष्यवाणी अक्सर लोग किया करते है लेकिन इस बार जिस शख्स ने अमर होने की रोचक दावा किया है उनकी आज तक 86% भविष्यवाणी सच साबित हुई है. पूर्व गूगल इंजीनियर Ray Kurzweil ने ये चौंकाने वाला दावा किया है कि इंसान अगले 7 साल में अमर हो जाएगा.
पहले भी कई भविष्यवाणी हुई सच साबित
अगर Ray Kurzweil की उपलब्धियों के बारे में बात करें तो 1999 में पूर्व गूगल इंजीनियर और कम्प्यूटर साइंटिस्ट को नेश्नल मेडल ऑफ टेक्नालॉजी से नवाजा गया था. साल 2005 में उन्होंने एक किताब The Singularity Is Near लिखी थी.
आखिर कैसे अमर बनेगा इंसान?
अब उन किताबों की कई ऐसी क्लिप वायरल हो रही है जिसमें उन्होंने अगले 7 सालों में इंसानों के अमर होने का जिक्र किया है. माना जाता है कि साइंटिस्ट की पिछली कई भविष्यवाणियां सच साबित हुई है. उन्होंने इसमें कई जेनेटिक्स, रोबोटिक्स और नैनोटेक्नालॉजी जैसी कई विषयों पर चर्चा की है.
सोशल मीडिया पर बना चर्चित विषय
सोशल मीडिया पर ये चर्चित विषय बन चुका है. लोग ये सवाल उठा रहे हैं कि क्या वाकई इंसान अमर हो जाएगा या ये केवल अफवाह है? Kurzweil ने इस किताब में नैनोटेक्नोलॉजी और रोबोटिक्स पर खास चर्चा करते हुए लिखा है कि इन दोनों की मदद से एज- रिवर्सिंग नैनोबाट्स का जन्म होगा.
ये छोटे बाट्स इंसानों के शरीर में डैमेज होते सेल्स और टिशू को लगातार फिक्स करते रहेंगे. उम्र बढ़ने के साथ हमारी सेल्स और टिशू कमजोर पड़ने लगते है, लेकिन नैनोबाट्स की मदद से इन्हें ठीक किया जा सकेगा. जिससे इंसानों को कई बीमारियों से लड़ने में मदद मिलेगी. अब देखना ये है कि वैज्ञानिक की बात सच होती है या नहीं.










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