
Neetu Pandey, नई दिल्ली: बिहार के भागलपुर में सुलतानगंज-अगुवानी गंगा नदी पर बन रहा निर्माणाधीन फोरलेन पुल एक बार फिर जमींदोज हो गया. बीते रविवार को निर्माणाधीन पुल का सुपर स्ट्रक्चर नदी में ढह गया.घटना के बाद बिहार सरकार का ये महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है. क्योंकि कंपनी अगले कुछ ही महीनों में इसे चालू करने का दावा कर रह थी. ऐसे में लेकिन अगर ये पुल चालू हो जाता तो कितना बड़ा हादसा हो सकता था. इसकी कल्पना करना भी कठिन है.
महज तीन सेकेण्डों में ये पुल नदी में गिर गया. चंद पलो में हजारों करोड़ रूपये की लागत पानी में जमींदोज गई. और साथ ही जमीदोंज हो गए. विकास के वो दावे जो नीतीश सरकार सालों से करती आ रही है. बिहार के भागलपुर में सुलतानगंज-अगुनावी गंगा नदी पर बन रहा फोरलेन पुल एक बार फिर धराशाई हो गया. एक बार फिर इसलिए क्योंकि पुल गिरने की घटना दूसरी बार हुई है.
पिछले साल भी 30 अप्रैल को पुल का एक हिस्सा नदी में गिर गया था. उसके बाद बीते रविवार को पुल का बड़ा हिस्सा जलमग्न हो गया. 1750 करोड़ की लागत से बन रहे पुल का 200 मीटर का सुपर स्ट्रक्चर गंगा नदी में ढह गया. पुल के पिलर नंबर 10, 11 ,12 ताश के पत्तों की तरह ढह गए. इस हादसे में दो गार्ड भी लापता बताए जा रहे हैं. जिन्हें SDRF की टीमें तलाश कर रही हैं. आपको बता दें, इस पुल के निर्माण का जिम्मा एम पी सिंघला कंपनी को सौंपा गया था. जो पुल का निर्माण कर रही है. कंपनी का कहना था कि वो अगले महीने तक पुल को चालू कर देगी.
आपको बता दें ये पुल नीतीश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में शुमार है. जिसका शिलान्यास सीएम नीतीश कुमार ने 23 फरवरी 2014 को किया था. ये पुल खगड़िया और भागलपुर जिलों को जोड़ने के लिए बनाया जा रहा है. जिसके लिए 1710 करोड़ की लागत तय हुई थी. इस पुल के निर्माण से नेशनल हाइवे 31 और 80 को जोड़ा जाना था. पिछली बार के हादसे के बाद अब इस पुल का 80 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो गया था. यहां तक कि अप्रोच रोड का भी 45 फीसदी काम पूरा हो चुका था. हालांकि नीतीश सरकार इस हादसे के बाद मामले की लीपापोती में जुट गई है. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का कहना है कि पुल में खामियां थीं. जिस वजह से इसे गिराया जा रहा है. तेजस्वी ने कहा कि पिछले साल भी इस पुल का हिस्सा गिर गया था. जिसके चलते अब इस पुल को गिराया गया है.
लेकिन तेजस्वी यादव के इस बयान को कितना सही माना जाए. क्योंकि पुल निर्माण एजेंसी अगले दो महीनों में इसे शुरू करने का दावा कर रही थी. कंपनी का कहना था कि अगले दो महीनों में सुपर स्ट्रक्चर और अप्रोच रोड तैयार हो जाएगा. ऐसे में लालू के लाल की इन बातों को कितना सही माना जाए. क्योंकि पुल का निर्माण 2015 से चल रहा है. जो उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाली बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है. इस पुल की लंबाई 3.160 किलोमीटर है. जबकि एप्रोच पथ की लंबाई करीब 25 किलोमीटर है. उधर इस पुल के गिरने के बाद प्रदेश में सियासत भी तेज हो गई है. प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने नीतीश सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जमकर निशाना साधा है.
हालांकि हादसे के 1 साल बाद ही पुल का ढहना सरकार पर कई सवाल खड़े करता हैं. क्योंकि अभी तो ये पुल शुरू भी नहीं हुआ था. अगर ये पुल चालू होता तो इससे हुई क्षति का अंदाजा लगाना भी मुमकिन नहीं था. ओड़िशा के रेल हादसे के बाद ये दूसरा हादसा बड़ी लापरवाही का नतीजा है. क्योंकि जब इस पुल का एक हिस्सा पहले ही गिर चुका था. तो सरकार ने उस समय कड़े कदम क्यों नहीं उठाए थे. जरूरी था कि सरकार पुल बना रही एम.पी सिंघला कंपनी पर कार्रवाई करती. क्योंकि जितनी लागत से ये पुल बनाया जा रहा था. उसमें पहले ही सभी मानकों को ध्यान में क्यों नहीं रखा गया. आखिर क्यों विशेषज्ञों की टीम सलाह नहीं ली गई. क्योंकि अगर ऐसा किया जाता तो शायद हजारों करोड रूपये की लागत जलमग्न नहीं होती.