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सोने की कीमतों में अब गिरावट देखी जा रही है। पिछले महीने 3,500 डॉलर प्रति औंस की रिकॉर्ड ऊंचाई छूने के बाद, अब इसकी रफ्तार धीमी हो रही है। सोना की कीमत अपने ऑल टाइम हाई से लगभग 250 डॉलर कम है। फिलहाल सोना 3,250 डॉलर पर ट्रेड कर रहा है। बता दें कि पिछले 9 महीनों में सोने ने करीब 50 फीसदी की तेजी दिखाई थी।
ये है गोल्ड-सिल्वर और गोल्ड-प्लेटिनम रेशियो
जनकारी के अनुसार फिलहाल गोल्ड-सिल्वर रेशियो (Gold/Silver Ratio) 100:1 के स्तर पर पहुंच गया है। 100:1 के रेशियो का मतलव है कि एक औंस सोना खरीदने के लिए 100 औंस चांदी चाहिए। बता दें कि यह अनुपात ऐतिहासिक तौर पर 70:1 के करीब रहता था। इसका मतलब है कि या तो सोना सस्ता होगा या चांदी महंगी होगी।
गोल्ड-प्लेटिनम रेशियो (Gold/Platinum Ratio) भी पिछले दो दशकों में 1 से 2 के बीच रहा है, लेकिन फिलहाल यह 3.5 पर पहुंच गया है। इसका अर्थ ये है कि सोने की वैल्यू ओवरस्टेच हो चुकी है, जिसमें करेक्शन आ सकता है।
कैसे मिली सोने को इतनी उड़ान
सेंट्रल बैंकों की भारी खरीदारी, ग्लोबल अनिश्चितता और 2022-23 के जियोपॉलिटिकल तनाव ने सोने की डिमांड को बढ़ाया था। इसके बाद डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 2025 में टैरिफ की घोषणा के बाद के बाद सोने की डिमांड में काफी उछाल आया। सोने की कीमतों ने फरवरी 2025 में और तेजी पकड़ी थी।
हालांकि अब ट्रम्प सरकार का रवैया नरम होता दिख रहा है। इसके साथ ही अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड टॉक्स और टैरिफ स्ट्रक्चर में ढील की संभावनाएं है। इस कारण निवेशक सोने से पैसे निकालकर इंडस्ट्रियल कमोडिटीज और इक्विटी की ओर रुख कर रहे हैं।
डॉलर ने भी डाला सोने पर दबाव
बता दें कि हाल ही में US Dollar Index 100 के ऊपर पहुंच गया है। यह पिछले तीन सालों का उच्चतम स्तर है। डॉलर में मज़बूत आने पर सोने की कीमतों पर नकारात्मक असर पड़ता है। इस कारण भी सोने में हालिया गिरावट देखी गई है।
जून में तय होगी सोने की अगली चाल
वैश्विक अनिश्चितता के दोबारा उभरने से सोना फिर से तेज़ी पकड़ सकता है। वहीं जून में होने वाले दो बड़े इवेंट सोने की दिशा तय कर सकते हैं। बता दें कि 9 जून को ट्रम्प के 'Reciprocal Tariffs' की 90 दिन की डेडलाइन खत्म होगी और 17-18 जून को US Federal Reserve की FOMC मीटिंग होगी, जिसमें रेट कट की उम्मीद है।
-Shraddha Mishra