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आजकल बच्चों पर गेमिंग का भूत ऐसा सवार हो उठा है कि उन्हें अपनी हेल्थ की जरा भी परवाह नहीं रहती है। एक ही जगह पर कई-कई घंटे गेम खेलने से बच्चों में स्पाइनल टीबी (Spinal TB) बढ़ने लगा है। रीढ़ की दो हड्डियों (D11-D12) में टीबी ने इंफेक्शन फैलने लगा है।
गेमिंग की लत बच्चों पर डाल रही गहरा प्रभाव
बिना हिले-डुले बैठे रहने से रीढ़ की हड्डी में मवाद जम जाता है और रीढ़ की नसें दब जाती हैं। गेमंगि की लत बच्चों में अवसाद और चिंता जैसी मानसिक समस्याएं भी उत्पन्न हो रही है, लगातार स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करने से बच्चों की एकाग्रता क्षमता कम हो रही है, चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है। देर रात तक गेम खेलने से बच्चों की नींद प्रभावित हो सकती है, जिससे उनकी दिनचर्या बिगड़ सकती है।
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गेमिंग की आदत बच्चों की पढ़ाई पर भी असर डाल रही है, जिससे उनके शैक्षणिक प्रदर्शन में गिरावट आ रही है। अधिक समय तक गेम खेलने से बच्चे सामाजिक गतिविधियों से दूर हो सकते हैं, जिससे उनका सामाजिक विकास प्रभावित हो सकता है।
पैरेंट्स के लिए सुझाव
समय सीमा निर्धारित करें: बच्चों के लिए गेम खेलने का समय सीमित करें और एक दिन में अधिकतम 1 घंटे से अधिक न होने दें।
वैकल्पिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करें: बच्चों को आउटडोर गेम्स, पढ़ाई, कला, संगीत आदि में रुचि लेने के लिए प्रेरित करें।
नियमित संवाद बनाए रखें: बच्चों से उनके अनुभवों और भावनाओं के बारे में बात करें, जिससे वे अपनी समस्याओं को साझा कर सकें।
पेशेवर सहायता लें: यदि बच्चे की गेमिंग की लत गंभीर हो गई है, तो मनोवैज्ञानिक या काउंसलर की मदद लें।
बच्चों की भलाई के लिए आवश्यक है कि माता-पिता उनकी डिजिटल गतिविधियों पर ध्यान दें और उन्हें संतुलित जीवनशैली अपनाने के लिए मार्गदर्शन करें।
Published By-Anjali Mishra