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चार दिन चले सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत और पाकिस्तान ने भले ही युद्धविराम की घोषणा कर दी हो, लेकिन एक बार फिर पाकिस्तान ने भरोसे को तोड़ते हुए केवल तीन घंटे में सीजफायर की धज्जियां उड़ा दीं है। LoC पर पाकिस्तानी सेना ने गोलीबारी की, जिसकी पुष्टि आधिकारिक सूत्रों ने की है। जिसके बाद भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि सेना को हर कठोर कदम उठाने की खुली छूट दी गई है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और सीमा पार के इलाकों में मौजूद आतंकी ठिकानों और लॉन्च पैड्स को नष्ट कर एक मजबूत संदेश दिया है। पाकिस्तान की ओर से हुई जवाबी कार्रवाई को भारतीय सेना ने प्रभावी ढंग से नाकाम किया। संघर्ष के बाद अमेरिका की बातचीत में युद्धविराम लागू हुआ, लेकिन पाकिस्तान के पुराने व्यवहार को देखते हुए यह ज्यादा देर तक नही टिका, जिसकी उम्मीद कम ही थी।
इतिहास गवाह है पहले शांति, फिर वार
भारत और पाकिस्तान के रिश्तों का इतिहास गवाही देता है कि पाकिस्तान अक्सर शांति की पहल के बाद धोखे की नीति अपनाता है। फरवरी 1999 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ऐतिहासिक लाहौर यात्रा और दिल्ली-लाहौर बस सेवा की शुरुआत को दुनिया ने सराहा था। मगर कुछ ही महीनों में कारगिल की पहाड़ियों में पाकिस्तानी घुसपैठ ने एक बड़े संघर्ष को जन्म दे दिया था। जिसके बाद ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत भारतीय सेना ने न सिर्फ घुसपैठ को रोका था, बल्कि पाकिस्तान को सैन्य और राजनीतिक रूप से भी पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था।
2001 में संसद पर हमला
2001 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ आगरा शिखर वार्ता के लिए भारत आए थे। हालांकि वार्ता बिना किसी समझौते के समाप्त हुई, लेकिन दोनों देशों के बीच उम्मीदें जग गई। यह भरोसा तब टूटा जब छह महीने बाद आतंकवादियों ने संसद भवन पर हमला कर आठ लोगों की जान ले ली थी। वहीं जांच में भी इस हमले के तार पाकिस्तान से जुड़े पाए गए थे।
अब पल्टवार तेज और निशाने पर होगा
वर्तमान समय में भारत ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है कि उसकी तरफ से होने वाला कोई भी आतंकी हमला युद्ध की कार्रवाई के बराबर माना जाएगा। सुरक्षा संगठन ने यह स्पष्ट किया है कि अब प्रतिक्रियाएं तेज और निशाने पर होंगी। साथ ही, भारत ने सिंधु जल संधि पर रोक जारी रखने का फैसला भी लिया है।
आंतरिक उथल-पुथल में उलझा पाकिस्तान
रिपोर्टस के अनुसार, पाकिस्तान की नीतियों में अव्यवस्था का कारण उसका भीतरी संघर्ष है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने युद्धविराम को सम्मान की बात कही, लेकिन पाक सेना का व्यवहार इसके उलट रहा। इस स्थिति में यह संकेत देता है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं।
- YUKTI RAI